ऑर्डर ब्लॉक: प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में हाई प्रोबेबिलिटी सेटअप्स का रहस्य

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ऑर्डर ब्लॉक क्या है?

ऑर्डर ब्लॉक एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जिसे प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में उन्नत लेवल के ट्रेडर्स अक्सर इस्तेमाल करते हैं। यह कॉन्सेप्ट हमें मार्केट के उन महत्वपूर्ण स्तरों को पहचानने में मदद करता है, जहां बड़े संस्थागत ट्रेडर्स या फाइनेंशियल संस्थान अपने ऑर्डर्स प्लेस करते हैं। यदि हम इन लेवल्स को सही तरीके से पहचान लेते हैं, तो हम हाई प्रोबेबिलिटी ट्रेड्स कर सकते हैं, जो हमें बाजार में बेहतर एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स देता है।

ऑर्डर ब्लॉक को समझने और मास्टर करने से, हम किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी में अपनी सफलता की संभावना को बढ़ा सकते हैं। चाहे आप स्कैल्पिंग कर रहे हों या स्विंग ट्रेडिंग, ऑर्डर ब्लॉक आपकी ट्रेडिंग को एक नया आयाम दे सकता है।

डिमांड और सप्लाई ज़ोन की भूमिका

ऑर्डर ब्लॉक की बुनियाद डिमांड और सप्लाई ज़ोन पर आधारित होती है। ये वो क्षेत्र होते हैं जहाँ मार्केट की दिशा में तेज़ी से बदलाव देखने को मिलता है:

  1. डिमांड ज़ोन (Demand Zone): यह वह क्षेत्र है जहां से प्राइस तेजी से ऊपर की ओर जाता है। इस ज़ोन में खरीदारों की संख्या अधिक होती है, जिससे प्राइस में उछाल आता है।
  2. सप्लाई ज़ोन (Supply Zone): यह वह क्षेत्र है जहां से प्राइस तेजी से नीचे की ओर आता है। इस ज़ोन में विक्रेताओं का दबाव अधिक होता है, जिससे प्राइस गिरने लगता है।

डिमांड और सप्लाई ज़ोन को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये ज़ोन उस स्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां बड़े खिलाड़ियों ने अपने ऑर्डर्स प्लेस किए होते हैं। जब प्राइस इन ज़ोन में दोबारा आता है, तो यह महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया करता है, जिससे हमें हाई प्रोबेबिलिटी सेटअप्स मिल सकते हैं।

ऑर्डर ब्लॉक के प्रकार

ऑर्डर ब्लॉक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

  1. बुलिश ऑर्डर ब्लॉक (Bullish Order Block): यह तब बनता है जब प्राइस तेजी से ऊपर की ओर जाता है। इसे पहचानने के लिए हमें उस लेवल को ढूंढना होता है जहाँ से प्राइस ने ऊपर की ओर बढ़ना शुरू किया था। इस लेवल पर हम सबसे आखिरी रेड कैंडल को पहचानते हैं, जो एक महत्वपूर्ण संकेत होता है कि बड़े संस्थागत ट्रेडर्स ने वहां खरीदारी की है।
  2. बेयरिश ऑर्डर ब्लॉक (Bearish Order Block): यह तब बनता है जब प्राइस तेजी से नीचे की ओर आता है। इसे पहचानने के लिए हमें उस लेवल को देखना होता है जहाँ से प्राइस ने गिरना शुरू किया था। यहाँ पर हम सबसे आखिरी ग्रीन कैंडल को पहचानते हैं, जो दर्शाती है कि विक्रेताओं का दबाव बढ़ गया है।

ऑर्डर ब्लॉक की पहचान कैसे करें?

ऑर्डर ब्लॉक की पहचान करने के लिए हमें कुछ विशेष संकेतों को ध्यान में रखना होता है। उदाहरण के लिए, जब मार्केट तेजी से ऊपर गया है, तो हमें उस लेवल को देखना होगा जहाँ से यह अपमूव शुरू हुआ था। वहां पर आखिरी रेड कैंडल को चिन्हित करें। यदि उस कैंडल ने अपनी पिछली कैंडल का लो ब्रेक किया हो, तो यह एक स्ट्रॉन्ग बुलिश ऑर्डर ब्लॉक बन सकता है।

उसी तरह, बेयरिश ऑर्डर ब्लॉक के लिए, हमें उस ग्रीन कैंडल को पहचानना होगा जिसने अपनी पिछली कैंडल का हाई ब्रेक किया हो। यह दर्शाता है कि विक्रेताओं का दबाव बढ़ रहा है और मार्केट में गिरावट का संकेत मिल सकता है।

फेयर वैल्यू गैप (Fair Value Gap) की भूमिका

फेयर वैल्यू गैप एक और महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट है जो ऑर्डर ब्लॉक की सफलता की संभावना को बढ़ाता है। फेयर वैल्यू गैप वह स्पेस होता है जो कैंडल्स के बीच में बनता है। जब प्राइस तेजी से किसी दिशा में बढ़ता है और उस दौरान कैंडल्स के बीच गैप बनता है, तो यह उस क्षेत्र को महत्वपूर्ण बनाता है।

यदि यह गैप ऑर्डर ब्लॉक के आसपास बनता है, तो यह एक स्ट्रॉन्ग सपोर्ट या रेजिस्टेंस के रूप में काम करता है। जब प्राइस दोबारा उस लेवल पर आता है, तो हमें वहां से एक अच्छा अपमूव या डाउनमूव देखने को मिल सकता है।

टाइम फ्रेम का चयन

ऑर्डर ब्लॉक की पहचान करने के लिए सही टाइम फ्रेम का चयन भी महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर, ट्रेडर्स 5 मिनट और 15 मिनट के टाइम फ्रेम का उपयोग करते हैं।

  • 5 मिनट का टाइम फ्रेम: इसमें आपको क्विक मूव्स मिलते हैं। एक दिन में आपको कई बार ऑर्डर ब्लॉक्स देखने को मिल सकते हैं, जिससे आप त्वरित ट्रेड्स कर सकते हैं।
  • 15 मिनट का टाइम फ्रेम: इसमें मूव्स थोड़े कम हो सकते हैं, लेकिन यह अधिक सटीक एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स देता है।

दोनों ही टाइम फ्रेम्स का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह ट्रेडर की ट्रेडिंग शैली और समय की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

हाई प्रोबेबिलिटी ऑर्डर ब्लॉक की पहचान कैसे करें?

हाई प्रोबेबिलिटी ऑर्डर ब्लॉक की पहचान करने के लिए, हमें तीन मुख्य चीजों पर ध्यान देना होता है:

  1. पहली कैंडल का हाई
  2. दूसरी कैंडल का लो
  3. तीसरी कैंडल का क्लोज

अगर इन तीनों के बीच में फेयर वैल्यू गैप बनता है, तो यह हमारे लिए एक बहुत ही स्ट्रॉन्ग सपोर्ट या रेजिस्टेंस बन सकता है। इस तरह के सेटअप्स में प्राइस का मूवमेंट अधिक विश्वसनीय होता है और हमें एक हाई प्रोबेबिलिटी ट्रेड मिलता है।

ऑर्डर ब्लॉक से मिलने वाले फायदे

  1. बड़े ट्रेडर्स की गतिविधियों को पहचानना: ऑर्डर ब्लॉक की मदद से हम उन स्तरों को पहचान सकते हैं जहाँ बड़े ट्रेडर्स ने अपने ऑर्डर्स प्लेस किए हैं। यह हमें सही एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स चुनने में मदद करता है।
  2. रिस्क रिवार्ड रेश्यो बेहतर बनाना: ऑर्डर ब्लॉक के उपयोग से हम अपने रिस्क को कम कर सकते हैं और रिवार्ड्स को अधिक बना सकते हैं, क्योंकि यह हमें हाई प्रोबेबिलिटी सेटअप्स देता है।
  3. फेयर वैल्यू गैप के साथ बेहतर ट्रेड्स: जब ऑर्डर ब्लॉक और फेयर वैल्यू गैप एक साथ आते हैं, तो यह ट्रेड्स की प्रोबेबिलिटी को और बढ़ा देता है, जिससे हमें बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

निष्कर्ष

ऑर्डर ब्लॉक एक महत्वपूर्ण प्राइस एक्शन ट्रेडिंग कॉन्सेप्ट है जो बड़े संस्थागत खिलाड़ियों की गतिविधियों को समझने में मदद करता है। इसे मास्टर करने से, हम अपनी ट्रेडिंग प्रोबेबिलिटी को बढ़ा सकते हैं और हाई प्रोबेबिलिटी ट्रेड सेटअप्स ढूंढ सकते हैं। सही टाइम फ्रेम और फेयर वैल्यू गैप को ध्यान में रखते हुए, ऑर्डर ब्लॉक की पहचान करके, आप मार्केट में अपनी एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को बेहतर बना सकते हैं और ट्रेडिंग में सफलता पा सकते हैं।

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